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एशिया कप 2025 का फाइनल केवल एक क्रिकेट मैच नहीं था बल्कि यह भारतीय क्रिकेट इतिहास का वह पल बन गया जिसने पूरे देश को गर्व से भर दिया| भारत ने पाकिस्तान को पांच विकेट से हराकर 9वीं बार एशिया कप जीत लिया| लेकिन जीत के बाद जो हुआ उसने सबको चौंका दिया टीम इंडिया ने पाकिस्तान के गृहमंत्री और एसीसी अध्यक्ष मोहसिन नक्वी के हाथ से ट्रॉफी लेने से इनकार कर दिया|
यही नहीं भारतिय दिग्गजों ने भी इस फैसले की जमकर सराहना की और साफ कहा कि देश का सम्मान किसी भी ट्रॉफी से बड़ा है|एशिया कप 2025 का फाइनल सिर्फ क्रिकेट का नहीं बल्कि विवादों और भावनाओं का भी मैदान बन गया|IND vs PAK के बीच ये खिताबी जंग दुबई इंटरनेशनल स्टेडियम में खेली गई| जहां लाखों दर्शकों की धड़कनें थमी हुई थी|
IND vs PAK के बीच खिताबी जंग
IND vs PAK टीम इंडिया ने पाकिस्तान को पांच विकेट से हराकर रिकॉर्ड नवमी बार एशिया कप की ट्रॉफी जीतने का कारनामा किया| लेकिन मैच जीतना रोमांचक था उससे कहीं ज्यादा नाटकीय रहा पोस्ट मैच प्रेजेंटेशन असल में इस पूरे टूर्नामेंट की शुरुआत से ही विवादों की चिंगारी जल चुकी थी|
ग्रुप स्टेज में जब दोनों टीमें आमने-सामने आई तब खिलाड़ियों ने एक दूसरे से हाथ मिलाने से इनकार कर दिया वहीं पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड ने मैच रैफरी एंडी पाई क्राफ्ट को हटाने का दबाव बनाया और धमकी दी कि अगर उनकी मांगे नहीं मानी गई तो वह टूर्नामेंट से ही हट जाएंगे| इस खींचतान ने दोनों देशों के बीच पहले से मौजूद तनाव को और भड़का दिया|IND vs PAK
इसी माहौल में जब फाइनल खेला गया तो पहले से ही कयास लगाए जा रहे थे कि भारत जीतने के बाद पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड के अध्यक्ष और एशियाई क्रिकेट काउंसिल के अध्यक्ष मोहसिन नक्वी के हाथ से ट्रॉफी नहीं लेंगे, नकवी न केवल पीसीबी और एसीसी से जुड़े थे बल्कि पाकिस्तान सर्कार में इंटीरियर मिनिस्टर भी थे यही नहीं भारत को परमाणु हमले की धमकी देने वाले बयानों से उनका नाम जुड़ा था|
यही वजह थी कि भारतीय टीम ने पहले ही तय कर लिया था कि उनके हाथ से सम्मान स्वीकार करना संभव नहीं होगा 28 सितंबर की रात ठीक 12:00 जैसे ही सूर्यकुमार यादव की कप्तानी में टीम इंडिया ने रोमांचक जीत दर्ज की पूरा स्टेडियम भारत माता की जय के नारो से गूंज उठा|
सम्मान स्वीकार करना संभव नहीं
लेकिन असली ड्रामा इसके बाद शुरू हुआ था,एसीसी के नियमो के अनुसार विजेता टीम को ट्रॉफी अध्यक्ष के हाथ से ही दी जानी थी यानी मोहसिन नकवी को स्टेज पर आना था| लेकिन भारतीय टीम ने साफ कह दिया कि वे उनके हाथ से ट्रॉफी नहीं लेंगे इस फैसले ने पूरे स्टेडियम का माहौल बदल दिया नकवी जैसे ही मंच पर आए भारतीय फैंस ने जबरदस्त हुटिंग शुरू कर दी|IND vs PAK
और देशभक्ति के नारों से माहौल गर्मा दिया समारोह लगातार टलता रहा और करीब सवा घंटे की देरी के बाद रात औपचारिकता निभाई गई लेकिन इस दौरान भी भारतीय टीम ने ट्रॉफी लेने से इनकार कर दिया कुछ खिलाड़ियों ने केवल अपने व्यक्तिगत अवार्ड लिए और बाकी कार्यक्रम को वहीं समाप्त कर दिया गया|
थोड़ी देर बाद खबर आई कि नाराज नकली स्टेडियम छोड़कर चले गए और अपने साथ ट्रॉफी भी ले गए यानी एशिया कप के इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ जब विजेता टीम ने ट्रॉफी के बिना ही किताब का जश्न मनाया मगर भारतीय टीम और उसके फैंस के लिए यह ट्रॉफी से कहीं बड़ा क्षन था| खिलाड़ियों ने मैदान पर तिरंगे को ऊंचा लहराया और पूरे जोश के साथ डांस और सेलिब्रेशन किया|
आखिरकार यह फाइनल सिर्फ क्रिकेट की जीत नहीं बल्कि आत्मसम्मान और सिद्धांतों की जीत बन गया टीम इंडिया ने साफ कर दिया कि उनके लिए देश का माँन किसी भी ट्रॉफी से ऊपर है|अब इस पर भारतीय क्रिकेट के दिग्गजों ने भी अपनी प्रतिक्रियाएं दी मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर ने इस फैसले को पूरी तरह सही ठहराया|IND vs PAK
सचिन तेंदुलकर ने इस फैसले को सही बताया
उन्होंने कहा क्रिकेट सिर्फ मैदान पर खेले जाने वाला खेल नहीं है यह देश के बीच रिश्तों और भावनाओं का आईना भी होता है|जब आप किसी ऐसे व्येक्ति से ट्रॉफी लेते हैं,जिसने खुलेआम भारत को धमकी दी हो तो ये देश के करोड़ों प्रशंसकों की भावनाओं के साथ न्याय नहीं होगा| मैं टीम इंडिया को सलाम करता हूं कि उन्होंने साफ संदेश दिया कि सम्मान किसी भी ट्रॉफी से बड़ा है|
इसने खेल का स्तर और ऊंचा कर दिया इसके बाद पूर्व कप्तान और दादा सौरव गांगुली ने कहा टीम इंडिया ने दिखा दिया है कि वे केवल खेल के मैदान पर ही नहीं बल्कि फसलों में भी विजेता है| ट्रॉफी तो हर बार आती जाती रहेगी लेकिन आत्म सम्मान और शिद्धान्त हमेशा कायम रहते हैं|ये कदम पूरी दुनिया को यह संदेश देता है की, भारत किसी भी अपमानजनक स्थिति में झुकने वाला नहीं है|
यह भारतीय क्रिकेट का स्वर्ण पल है पूर्व कोच और वर्तमान समय के सबसे सम्मानित चेहरों में से एक राहुल द्रविड़ ने कहा मैंने क्रिकेट में हमेशा यह सीखा है कि खेलना सिर्फ रन और विकेट तक सीमित नहीं है|यह एक संस्कृति है एक पहचान है| टीम इंडिया ने जो किया उसने हर युवा खिलाड़ी को सिखाया की खेलते समय देश की गरिमा सबसे ऊपर होनी चाहिए|
यह निर्णय आने वाली पीढियो के लिए उदाहरण बनेगा इसके बाद रवि शास्त्री ने कहा हम हर मैच में देश के लिए खेलते हैं| जब सवाल ट्रॉफी का आया तो यह जीत से भी बड़ा पाल बन गया खिलाड़ियों ने दिखाया कि हम सिर्फ क्रिकेटर नहीं बल्कि देश के सिपाही भी हैं| बिना ट्रॉफी के जश्न मनाना तिरंगे को ऊंचा उठाना यही असली जीत है|IND vs PAK
कपिल देव ने कहा
इसके बाद कपिल देव ने कहा यह कोई छोटी बात नहीं है टीम इंडिया ने जो किया उसने पाकिस्तान को साफ संदेश दिया है कि, भारत को नीचा दिखाने की कोशिश करने वालों को यहां सम्मान नहीं मिलेगा ट्रॉफी का वजन सोने का हो सकता है| लेकिन आत्म सम्मान का वज़न हमेशा उससे भरी रहेगा मुझे गर्व है की टीम ने सही निर्णय लिया|
भारतीय दिग्गजों के इन बयानों ने साफ कर दिया कि यह जीत केवल 22 गज के पिच पर दर्ज की गई जीत नहीं थी यह देश की अस्मिता गर्व और सिद्धांतों की जीत थी| इतिहास में पहली बार किसी टीम ने फाइनल जीतने के बाद ट्रॉफी के बिना ही जस्ट बनाया और वह भी उतनी ही गर्व और जोश के साथ टीम इंडिया ने दुनिया को दिखा दिया कि उनके लिए ट्रॉफी से बड़ा उनका तिरंगा है|
और यही वजह है कि यह एशिया कप सिर्फ क्रिकेट इतिहास में नहीं बल्कि भारत के गौरवशाली अध्यायों में भी दर्ज हो गया है| वही अब इस पर पाकिस्तान की दिग्गज खिलाड़ियों ने भी अपनी प्रतिक्रिया दी, वसीम अकरम पाकिस्तान के पूर्व तेज गेंदबाज और कप्तान ने भारतीय टीम के निर्णय को समझने योग्य बताया|
उन्होंने कहा खेल के नजरिए से भारत ने फाइनल में शानदार खेल दिखाया ट्रॉफी लेना या ना लेना उनकी व्यक्तिगत और राष्ट्रीय गरिमा का सवाल था|मुझे लगता है की टीम इंडिया ने अपने गौरव और देश की प्रतिष्ठा को प्राथमिकता दी और इसमें कोई गलती नहीं थी| खेल भावना का मतलब केवल अवार्डस और ट्राफी नहीं बल्कि सम्मान और अपने सिद्धांतों पर टिके रहना भी है|
शोएब अख्तर ने जताई आपत्ति
इसके विपरीत शोएब अख्तर पाकिस्तान के पूर्व तेज गेंदबाज ने भारतीय टीम के निर्णय पर कुछ हद तक आपत्ति जताई उन्होंने कहा मुझे लगता है कि फैंस और क्रिकेट प्रेमियों के नजरिए से ट्रॉफी लेने से ही यह जीत पूरी तरह यादगार बनती खेल का असली मजा तो जीत के बाद प्रेजेंटेशन और जस्न में आता है|टीम इंडिया का निर्णय उनके सम्मान के लिए था|
लेकिन इसे खेल भावना के दृष्टिकोण से गलत भी माना जा सकता है| फैंस को ऐसा लग सकता है कि पुरस्कार और ट्रॉफी का सम्मान नहीं किया गया पूर्व ऑलराउंडर शोएब मलिक ने बीच का रुख अपनाया उन्होंने कहा मैं समझ सकता हूं की टीम इंडिया ने अपने सिद्धांतों और राष्ट्रीय गौरव के हिसाब से ऐसा किया| नकवी के विवादित पोस्ट्स और उनके राजनीतिक पद को देखते हुए भारतीय टीम का यह फैसला समझ में आता है|
लेकिन प्रेजेंटेशन सेरिमनी में जश्न का हिस्सा न बनना खेल के नजरिए से थोड़ा असामान्य जरूर था मोहम्मद आमिर पाकिस्तान के पूर्व तेज गेंदबाज ने भी भारतीय टीम के निर्णय को सहित ठहराया|उन्होंने कहा टीम इंडिया ने यह दिखाया कि उनके लिए सम्मान और प्रतिष्ठा पैसों या ट्रॉफी से ऊपर है|खेल का असली मकसद यही होना चाहिए|IND vs PAK
नकवी के हाथ से ट्रॉफी लेने से इनकार करना साहसिक कदम था और इसे राष्ट्रीय गौरव का हिस्सा माना जा सकता है| हालांकि वसीम अकरम और वकार यूनुस ने इस बात पर जोर दिया की टीम इंडिया का निर्णय व्यक्तिगत और राष्ट्रीय सम्मान के लिए था| लेकिन शोएब अख्तर और शोएब मलिक ने इसे खेल भावना और फैंस के नजरिया से थोड़ा विवादास्पद बताया|
शोएब मलिक ने कहा अगर भारतीय टीम ने स्टेज पर ट्रॉफी ले ली होती तो यह पूरी प्रक्रिया और जश्न और भी यादगार बन जाता फैंस और मीडिया के नजरिए से यह सामान्य कदम था,इन सभी दिग्गजो ने यह भी माना की भारत की जीत पूरी तरह उनके शानदार खेल और प्रदर्शन की वजह से मिली थी| पाकिस्तान की टीम ने भी शानदार खेल दिखाया और रनरअप होने के बावजूद सम्मान प्राप्त किया|
वसीम अकरम और शोएब अख्तर ने कहा कि खेल भावना सबसे महत्वपूर्ण है और इसे बनाए रखना ही असली मकसद है| वही फाइनल जीतने के बाद जब भारतीय कप्तान सूर्यकुमार यादव प्रेस कॉन्फ्रेंस में आए तो उनके चेहरे पर ट्रॉफी जीतने की खुशी तो थी, लेकिन एक बड़ा सवाल सबके मन में था टीम इंडिया ने ट्रॉफी मोहसिन नक्वी से क्यों नहीं ली|
सूर्या ने मोहसिन नकवी से ट्राफी क्यों नही ली?
इसी सवाल का जवाब देते हुए सूर्यकुमार यादव ने साफ और बेबाक अंदाज में अपनी बात रखी सूर्य कुमार ने शुरुआत करते हुए कहा सबसे पहले मैं यह साफ कर दूं कि एशिया कप की जीत भारतीय क्रिकेट और हमारे फैंस के लिए है| यह जीत हर उस भारतीय के नाम है जिसने हमें सपोर्ट किया उन्होंने आगे कहा हम सभी खिलाड़ी खेल को राजनीति से ऊपर मानते हैं|
लेकिन जब वही व्यक्ति जिसने हाल ही में भारत को खुलेतौर पर परमाणु हमले की धमकी दी थी हमें ट्रॉफी सौंपने के लिए सामने आ रहा था, तो हमें लगा कि यह सही संदेश नहीं जाएगा|क्रिकेट आपसी भाई चारे और स्पोर्ट्स मेंशिप का मंच है ना की धमकी और नफरत का हम नहीं चाहते थे कि दुनिया के सामने ऐसा लगे की भारतीय टीम उस बयान को नजर अंदाज कर रही है|
या उसे स्वीकार कर रही है सूर्य कुमार ने बताया कि यह फैसला अचानक नहीं लिया गया था बल्कि पहले से तय था|फाइनल से पहले ही टीम मैनेजमेंट और हम खिलाड़ियों ने बैठकर इस पर बात की थी सभी की राय यही थी की जीत के बाद हम किसी भी सूरत में मोहसिन नक्वी से ट्रॉफी नहीं लेंगे| यह कोई गुस्से का फैसला नहीं था बल्कि हमारे आत्मसम्मान और देश के सम्मान से जुड़ा मुद्दा था|
हमने साफ कहा था कि ट्रॉफी कोई न्यूट्रल अथॉरिटी या एशियाई क्रिकेट काउंसिल का प्रतिनिधि हमें सोंपे और अंत में वैसा ही हुआ उन्होंने यह भी कहा देखिये हम पाकिस्तान टीम और उनके खिलाड़ियों का पूरा सम्मान करते हैं उन्होंने अच्छा खेल दिखाया और हम उनकी मेहनत को मानते हैं|
लेकिन जहां तक नकवी साहब की बात है, उनके शब्द हमें और हमारे देशवासियों को चोट पहुंचाते हैं एक खिलाड़ी और एक भारतीय होने के नाते हम चुप रह कर उस अपमान को स्वीकार नहीं कर सकते थे| इसलिए हमें यह कदम उठाना पड़ा सूर्यकुमार ने अंत में कहा यह ट्रॉफी हम सब भारतीयों की है| यह जीत हमारे क्रिकेटरों की मेहनत और हमारे फैंस की दुआओं का नतीजा है|
हम चाहते थे कि जब हम यह ट्रॉफी उठाएं तो हर भारतीय को गर्व महसूस हो ना कि यह सवाल उठे कि हमने उसे किसके हाथों से लिया अगर आज हम चुप रहते तो यह आने वाली पीढियो को गलत संदेश देता हमारी टीम ने जो किया वह देश की गरिमा और आत्म सम्मान के लिए किया सूर्य ने आगे कहा जीत ट्रॉफी से नहीं मापी जाती जीत मैदान पर मिले पसीने जज्बे और देश के करोड़ों फैंस की दुआओं से मापी जाती है|
बिना ट्राफी के मनाया जीत का जश्न
यही वजह है की ट्रॉफी हमारे पास ना होते हुए भी हमने जीत का जश्न मनाया हमारे लिए असली ट्रॉफी हमारे तिरंगे का लहराना है और आज वह सबसे ऊंचाई पर लहराया| तो कुछ ऐसा बयान था सूर्यकुमार यादव का इस पर आपकी क्या राय है, क्या टीम इंडिया ने ट्रॉफी ना लेकर सही किया, IND vs PAK के बीच एशिया कप फाइनल मैच के बाद अब तक एक ही बात की लगातार चर्चा हो रही है और वह यह है कि एशियाई क्रिकेट काउंसिल के प्रेसिडेंट नकवी अपने साथ भारत की ट्रॉफी और भारत के मेडल लेकर क्यों चले गए|
नकवी पाकिस्तान के गृहमंत्री भी हैं और एसीसी के अध्यक्ष भी हैं अब बड़ी खबर यह है कि भारत को यह ट्रॉफी मिलेगी या नहीं और मिलेगी तो कैसे मिलेगी सोशल मीडिया पर लगातार यह चर्चा हो रही है कि, पाकिस्तान ने भारत का कप चुरा लिया है|IND vs PAK
हालांकि साथ ले जाने का मतलब यह नहीं है कि भारत की ट्रॉफी अब मोहसिन नक्वी के पास रहेगी या पाकिस्तान के पास रहेगी बीसीसीआई ने कहा है की मोहसिन नकवी जल्द से जल्द यह ट्रॉफी और मेडल भारत को वापस कर दें नहीं तो उनके खिलाफ भारत आईसीसी में गंभीर और कड़ा विरोध दर्ज करवाएगा|
सबसे पहले आपको बताते हैं कि इस मामले में आईसीसी के नियम क्या कहते हैं? आईसीसी के नियमो के मुताबिक जो टीम फाइनल का मुकाबला जीतती है, वही ट्रॉफी की असली हकदार होती है| यह तो हम सब जानते ही हैं, हालांकि किसी मजबूरी या किसी दूसरी वजह से अगर विजेता टीम ट्रॉफी लेने के लिए नहीं आती है या ट्रॉफी नहीं ले पाती है तो भी इस ट्रॉफी को हारने वाली टीम या किसी दूसरी टीम को कभी नहीं सोंपा जा सकता|IND vs PAK
एशियाई क्रिकेट काउंसिल की जिम्मेदारी
इस टूर्नामेंट के आयोजकों की जिम्मेदारी होती है कि वह ट्रॉफी को अपने पास सुरक्षित रखें और बाद में उस ट्रॉफी को उसके असली हकदार को सोंप दे, एशिया कप का आयोजन एशियाई क्रिकेट काउंसिल ने किया है और सबसे बड़ी बात यह है कि आईसीसी में ट्रॉफी न लेने वाली टीम के खिलाफ एक्शन लेने का कोई नियम नहीं है| यानि भारतीय टीम के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की जाएगी|
उन्होंने यह ट्रॉफी लेने से इनकार कर दिया था लेकिन इस पर भारतीय टीम के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हो सकती|अगला सवाल है कि क्या मोहसिन नकवी के लिए ही भारतीय कप्तान को ट्रॉफी देना जरूरी था| क्योंकि भारतीय टीम मोहसिन नक्वी से यह ट्रॉफी नहीं लेना चाहती थी| क्योंकि नकवी ना कोई पाकिस्तान के हैं और पाकिस्तान के एक मंत्री भी है, तो भारतीय टीम ने कहा कि हम यह ट्रॉफी तो लेना चाहते हैं|
लेकिन मोहसिन नकवी के हाथ से हम नहीं लेंगे,लेकिन मोहसिन नकवी अड़ गए की ट्रॉफी तो मैं ही दूंगा तो क्या यह जरूरी था क्या ट्रॉफी उन्ही के हाथ से ली जा सकती थी या उसका कोई और रास्ता भी था|आपको एक उदाहरण देते हैं वर्ष 2022 में श्रीलंका की टीम ने भी एशिया कप जीता था| और उस समय एशियाई क्रिकेट काउंसिल के प्रेसिडेंट ने विजेता टीम को ट्रॉफी नहीं दी थी|
बल्कि तब शमी सिल्वा ने श्रीलंका की टीम को ट्रॉफी दी थी जो उस समय श्रीलंका क्रिकेट बोर्ड के अध्यक्ष थे यानि पहले से एक ऐसी मिसाल मौजूद है|और मोहसिन नकवी भी चाहते तो ऐसा कर सकते थे लेकिन सायद वो जान बूझ कर इस मामले पर विवाद को और बढ़ाना चाहते थे|हालाकि बीसीसीआई का कहना है कि भारतीय टीम को जल्द ही उसकी ट्रॉफी और खिलाड़ियों को उनके मेडल मिल जाएंगे|
प्रधानमंत्री मोदी ने सोशल मीडिया पर लिखा एक पोस्ट
भारत की इस ऐतिहासिक जीत के बाद प्रधानमंत्री मोदी ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट लिखा उन्होंने लिखा खेल के मैदान पर ऑपरेशन सिंदूर नतीजा वही भारत जीत गया| इसका संदेश स्पष्ट है कि खेल हो या फिर कूट नीति हर जगह भारत का ऑपरेशन सिंदूर जारी रहेगा और आप देखिए (ऑपरेशन सिंदूर ऑन द गेम्स फील्ड आउटकम इस द सम इंडिया विंस कांग्रेचस टू अवर क्रिकेटर्स) यह पोस्ट है प्रधानमंत्री मोदी का|
प्रधानमंत्री मोदी के सोशल मीडिया पोस्ट को अब तक 3 करोड़ से ज्यादा लोग देख चुके हैं और एक लाख से ज्यादा बार इसे रिट्वीट किया गया है आप इस पोस्ट की लोकप्रियता को समझ सकते हैं| लोगों को यह पोस्ट कितना समझ आ रहा है कितना अच्छा लग रहा है आप इस बात का इससे अंदाजा लगा सकते हैं|
और भारतीय टीम भी खेल के मैदान में भारतिय सैनिकों की तरह काम कर रही थी और हमारे सैनिकों की तरह हमारे खिलाड़ियों ने भी पाकिस्तान की हार तय कर दी|तो इस जीत के बहुत सारे मतलब है प्रधानमंत्री मोदी ने जो लिखा है इसके बहुत सारे मतलब है भारत सरकार चाहती तो टीम भेजने के बदले इस टूर्नामेंट का या फिर पाकिस्तान के खिलाफ सारे मैचेज का बहिष्कार करने का फैसला ले सकते थे|










